बुधवार, 7 जुलाई 2010

नहीं मिलता

सुना है वह किसी से कभी घर पर नहीं मिलता ।
जहाँ मिलता है वह अक्सर वहां अक्सर नहीं मिलता ।
इसी उम्मीद पर आखिर मुहब्बत हो गई उससे ,
जहाँ पर फूल मिलते हैं वहां पत्थर नहीं मिलता ।
मिला जो भीड़ में उससे लगा वो भीड़ का हिस्सा ,
नहीं तो कब हुआ ऐसा कि वो खुलकर नहीं मिलता ।
खुदा जाने रजा उसकी खुदा जाने मजा उसका ,
नहीं मिलने पे मिलता है जो मिलने पर नहीं मिलता ।
खबर सबकी रखता है सभी कि वो खबर में है ,
मगर जिसकी खबर लेता करम गुस्तर नहीं मिलता ।
बुला लेता है वो उसको जिसे उसको बुलाना है ,
मगर करता नहीं शिकवा कोई क्यों कर नहीं मिलता .

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