बड़ी खूबसूरत तुम्हारी ग़ज़ल है .
मासूम दिलकश प्यारी ग़ज़ल है
खिले फूल जिसमें मुहब्ब्बत के कितने
बनी क्या गज़ब ये क्यारी ग़ज़ल है .
लिखी तुमने इसमें जितनी भी बातें ,
लगता है मानों हमारी ग़ज़ल है .
मुझे रात भर नींद आती नहीं है ,जेहन पे रहती जो तारी ग़ज़ल है .
ग़ज़ल तो कभी की ख़त्म हो गई पर ,
लगता है अब भी ये जारी ग़ज़ल है .
हर इक शेर पर चूम लेता हूँ इसको ,
रहती मगर फिर भी क्वांरी ग़ज़ल है
shandar prastuti
जवाब देंहटाएं