शनिवार, 28 जुलाई 2012

किसी से

काश  ना करता मुहब्बत मैं किसी से .
जिन्दगी पूरी गुजर जाती ख़ुशी से .
आंसुओं का इस कदर दरिया न  बहता ,
खाब करते ख़ुदकुशी क्यों बेबशी से .
देखना जाते हुए होकर जुदा फिर ,
दर्द पीकर मुस्कराना हर किसी से .
एक सन्नाटा लिए दिल मेंमु ड़ा   मैं ,
आ गया बाहर अँधेरा रौशनी से .
अब न जाने और क्या क्या देखना है ,
मैंखड़ा चिपका हुआ हूँ इस जमीं से .

इसतरह ना आजमांयें

दोस्तों को इस तरह ना आजमायें .
लोग करना दोस्ती ही भूल जाएँ .
मुस्कराकर कलतलक जो मिल रहे थे ,
रास्ता अपना बदल लें दामन बचाएं .
आइना सब की हकीकत जानता है ,
बेबजह ना और पर ऊँगली उठायें.
अश्क की इक बूँद को  ना कम समझना ,
क्या पता सागर बने हम डूब जाएँ .
जुल्म सहकर ख़ुदकुशी करते नहीं जो ,
ये जरूरी तो नहीं उनको सताएं .
रूठ कर जो दूर दिल से हो गए हैं ,
प्यार से उनको मना लो लौट आयें