( २१ )
दोपहरी के बाद ही आखिर पुष्प विमान अवध में उतरा ,लखन लाल और राम चन्द्र को सबने उसमें बैठा देखा ,
हाथ लगाने से हो मैली साथ ही बैठी राम की सीता ,
सुग्रीव और विभीषण अंगद जामवंत नल नील समीता ,
सबक खरामी रंग पे आई वादे सबा ने भी पर तौले ,
गुलशन गुलशन महक रहा था कलियों ने भी घूघट खोले .
( २२ )
पुष्प विमान जमीं पर उतरा हौले हौले धीरे धीरे ,
राम चन्द्र जी सबसे पहले उस विमान से बाहर निकले ,
उनके पीछे ठुमक ठुमक करती निकली राम की सीते ,
वानर सेना बाद में आई लखन लाल जी पहले निकले ,
तीनों माताओं को बढ़ कर तीनों ने फिर शीश नवाया ,
आशीर्वाद गुरु का लेकर भरत चरत को गले लगाया .
( २३ )
कौशल्या कैकेई सुमित्रा ने फिर खोया धन पाया ,
भरत चरत दोनों की आखिर संवर गई ही नरजिस काया ,
पहले आँखें चार हुईं जब नजरों ने था धोखा खाया ,
लेकिन देखा गौर से ज्यों ही तीनों ने सावन बरसाया ,
बच्चे बूढ़े पुरुष और नई देख रहे थे झूम रहे थे ,
इतना था तूफ़ान खुशी का धरती अम्बर घूम रहे थे .
( २४ )
घूम मचाते हँसते गाते इसी अरह से कुछ दिन बीते ,
राज तिलक फिर हुआ राम का धूम धाम से बहुत शान से ,
राम राज में शेर और बकरी एक घाट पर पानी पीते ,
उनकी कोई कमी नहीं थी दूध और घी के डराया बहते ,
सच्चे सुच्चे लोग थे सारे दान की महिमा सबने जानी ,
राम राज में हो जाया था दूध का दूध पानी का पानी .
( २५ )
तू ही मेरा मात पिता तू ही मेरा बंधु भगवन ,
ऊ अविनाशी दुःख कका नाश तुझसे कटते मोह के बंधन ,
तू ही मारे तू ही तारे तू ही मेरा है जीवन धन ,
तेरे बल पर मैंने भी तै करली समपूरन रामायण ,
मेरे डाटा मेरी झोली जैसे भर दी सब की बहरिओ ,
जैसी कृपा मुझ पर की है वैसी कृपा सब पर करिओ .