मंगलवार, 7 सितंबर 2010

४6- रामायण

                  ( ९ ) 
कटे कान और नाक उसके मानों ,
लहू ही से लतपत था  उसका बदन ,
बुला लाइ जाके वह खरदूषण ,
ये भाई थे उसके वह उनकी बहिन ,
लड़ाई हुई खूब ही जोर से ,
ये दोनों बिरादर रहे खेत थे .
.                  ( १० ) 
वह रावण के दरबार में आ गई ,
वहां जाके उसने यों फ़रियाद की ,
मेरी नाक तो आज कट ही गई ,
नहीं नाक मेरी ये तेरी सी कटी ,
तेरे होते ये जुल्म भी हो गया ,
कहाँ  तेरा असास अब खो गया .
                  ( ११ ) 
यहाँ ऐश तू खूब करता रहे ,
वहां बच्चा तेरा कट मरे ,
तू महलों में खुशियाँ मनाता फिरे ,
तुझे क्या कोई भी मरे या मिटे ,
तेरे राज और तेरी सूरत पे तुफ्र ,
तेरी दौलत और तेरी ताकत पे तुफ्र .
                   ( १२ ) 
सुनी बात रावण को तैश आ गया ,
वह है कौन मौजी बता तो ज़रा ,
वह राम लक्ष्मण से उसने कहा ,
है इस नाजनीन नाम उसका सिया ,
तू ले आ उसे घर की शोभा बढे ,
तू बदला मेरा इस तरह उस से ले .

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