रविवार, 13 जून 2010

खूब सूरत लड़कियां

मुस्करातीं हैं बहुत जब खूबसूरत लड़कियां .वह गिरातीं हैं जवां दिल पर हजारों बिजलियाँ।

राह चलते लोग भी पीछे पलट कर देखते, यकबयक कमसिन उमर मैं ये बजातीं सीटियाँ ।

आसमानों की तरफ रुख कर रहीं हैं इस तरह ,फडफडा कर पंख उड़तीं हैं कभी जब तितलियाँ ।

रूढ़ियों के तोड़कर बंधन सभी औ दायरे ,ये फिजां में घोलतीं हुई फिर रहीं हैं मस्तियाँ ।

ये जमाना साँस रोके तक रहा है उस तरफ ,जा रहीं हैं नक्श -ए -पा अब इन्हीं के हस्तियाँ ।

वक्त की रफ़्तार भी बेचैन है अब raat दिन, तेज उससे भी चली हैं आजकल की लड़कियां।



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