बुधवार, 16 जून 2010

तेरे लिए

गजल बन जाऊंगा लब पर कभी जब गुनगुनाओगे .उजाला बन के फैलूँगा दिए जब तुम जलाओगे।
उदासी होगी आँखों में घटा बन कर मैं बरसूँगा ,हसूंगा फूल बनकर के कभी जब मुस्कराओगे।
भंवर के बीच में होगे मैं साहिल बनके थामूंगा ,बहारें बन के आऊँगा कभी जब गम सुनोगे ।
तुम्हें गर दिन पड़ें कुछ कम उमर अपनी मैं दे दूंगा ,बनूँगा सेज फूलों की कभी कांटे सजाओगे ।
लहू से अपने खींचूंगा तेरे अरमां की तस्वीरें ,ज़माने भर के रंगों से बना गर तुम ना पाओगे ।
सितारा बन के चमकूंगा तेरी किस्मत के गर्दिश में, छुपा लूँगा तुझे दिल में मेरी जानिब जो आओगे .

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