आओ हम तुम अलग -अलग अब होने का विश्वास करें ।
न तुम झूठे न हम झूठे इस सच पर विश्वास करें ।
संबंधों की पुनर्व्याख्या करना बहुत जरूरी है ।
ताकि नाप सकें हम तुम में पनप रही जो दूरी है ,
बंधन खोलें मुक्त रहें क्यों नाहक हुआ उदास करें ।
झूठी कसमें ,झूठे वायदे ,झूठे क्यों संबोधन हों ,
झूठे रिश्ते ,झूठे नाते ,झूठे क्यों अभिनन्दन हों ।
अपनी-अपनी दुनिया में खुश रहने का प्रयास करें ।
लाभ -हानि का जोड़ -घटाना ,लेखा क्यों व्यवहारों का ,
मुंह पर मीठी -मीठी बातें पीछे वार कटारों का ,
कुछ पल सोचें तनहा -तनहा राहें नयी तलाश करें ।
दुरभि संधियाँ ,छल प्रपंच ,षड़यंत्र चाल और छद्म वेश ,
छोड़ रहें निस्पृह रखें न गाँठ जरा भी मन में शेष ,
खुली सोच और खुले विचारों का हम सतत विकास करें ।
निज प्रसिद्धि के संसाधन जैसे चाहें वैसे जोड़ें ,
मन में कलुषित भाव लिए क्यों आहत हम निश्वांश छोड़ें ,
अपने -अपने सपने देखें सपनों में मधुमास करें ।
पर इतना भर ध्यान रहे की जब जब भी हम तुम टकराएँ ,
खुले ह्रदय से मिलें सहज निष्कपट और निर्मल हो जाएँ ,
शब्दों की परिभाषा छोड़ें भावों का विन्यास करें ।
वर्ना दुनिया में कुछ भी रहता स्थिर नहीं सदा ,
अभी वक्त है पास हमारे कल होगा ये यदा कदा ,
क्यों रुक कर इक पल भी सोचें दूरी दिल की पास करें
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