शनिवार, 26 जून 2010

हम-तुम

जब से हम-तुम बड़े हो गए,प्रश्न हजारों खड़े हो गए .मिलना -जुलना कठिन हो गया ,नियम कायदे कड़े हो गए।
रिश्तों की परिभाषा बदली, बोलचाल की भाषा बदली ,चाल चलन का रंग है बदला ,सोच -समझ का ढंग है बदला,
संदेहों ने आँखें खोली ,कान सभी के खड़े हो गए । जब से ....
पकडे -पकडे हाथ हमेशा ,हम तुम घूमा करते थे ,चाँद -सितारे मुट्ठी में ले -लेकर चूमा करते थे ,
बीते दिन अब सपने लगते ,तस्वीरों में जड़े हो गए ।
कभी ख़त्म न होने वाली ढेरों बातें नहीं रहीं ,तन-मन भीगा करता जिसमें वह बरसातें नहीं रहीं ,
मन की बंजर धरती पर कुछ नक़्शे मुहब्बत पड़े रह गए । जब से....
वही धर्म है ,वही जाति है ,वही प्रेम है ,जिस्म वही है ,परम पिता की हम संतानें लाल खून की किस्म वही है ,
न जाने क्या हुआ सभी को लोग बड़े नक्च्ड़े हो गए .जब से ...
बात -बात पर नुक्ता चीनी ,कदम -कदम पर पहरे हैं ,कौन समझ सकता है दिल में ,जख्म हुए जो गहरे हैं ,
लगता है ज्यों सब के सब बहरे हैं ,या फिर चिकने घड़े हो गए .जब से...
उठी दिलों के बीच दीवारें ,नफरत की चलतीं तलवारें ,प्यार हुआ केवल कहने को ,सपनों में खोये रहने को ,
इस देहरी से उस देहरी तक ,सभी फासले बड़े हो गए ।

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