सोमवार, 28 जून 2010

अपना ही घर

मेरे दिल को बस समझे अब तू अपना ही घर ।
मैंने तुझसे प्यार किया है तू भी मुझसे कर ।
खाकर कसम दिला सकता हूँ तुझे भरोसा मैं,
तेरा साथ निभाऊंगा यूँ बेशक जीवन भर ।
दुनिया वाले तो कहते हें इनका काम है कहना ,
तेरा दिल कहता है जो सुन नहीं किसी से दर ।
तुझे फैसला खुद करना है भला बुरा है क्या ,
सही वक्त पर सही फैसला कब होता अक्सर ।
खुशियाँ खड़ीं राह में तेरी ,नजर उठा कर देखो ,
मेरा हाथ पकड़कर अपना करदे शुरू सफ़र ।
यूँ घुट -घुट कर जीना तेरा अच्छी बात नहीं ,
अब मुस्काने का मौसम अश्कों का गया गुजर।

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