रविवार, 27 जून 2010

घट जायेगा

जो घटना है घट जायेगा ,समय कोई हो कट जायेगा ,
मौसम सुख जब आएगा ,दुःख का बादल हट जायेगा ।
रातें कितनी भी हों काली ,सुबह सदा सिंदूरी होगी ,
मन में चाहत भर जिन्दा हो ,साध कोई हो पूरी होगी ,
छोटी -छोटी खुशियों से भी ,जीवन का गम घट जायेगा ।
ऐसा तो क़ानून नहीं है ,हर रस्ता मंजिल को जाए ,
फूल खिलें गुलशन में कोई ,और कभी भी न मुरझाये ,
फिर मन में भ्रम क्यों पालें हम ,तिमिर झूठ का छंट जायेगा ।
होता खाली नहीं कभी भी ये आकाश भरा तारों से ,
रुकता नहीं प्रकाश सत्य का ,छनभंगुर यों अंधियारों से ,
धरती का कोना -कोना फिर ,उजियारों से पट जायेगा .

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