बुधवार, 23 जून 2010

हमारा गम

तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी मुबारक हमें हमारा गम .तुमको फूलों वाला हमको काँटों का मौसम ।
ये तो अपनी अपनी किस्मत दोष किसी का क्या है ,तुम्हें मिले उजियारे हमने अँधियारा पाया है ,
हंसी तुम्हारे होंठों पर है नयन हमारे नम.
हाथों की रेखाओं में जो विधि ने लिखी कहानी ,हमने वही सुनाई हमको जो थी पड़ी सुनानी ,
पास हमारे भी ना थे यों अफ़साने कुछ कम ।
ये तो जग की रीति निराली दुःख में दुःख देता है,आँखों में सपने भर कर फिर खुशियाँ हर लेता है ,
फिर भी थाली वाला चंदा नहीं किसी से कम ।
जिन्हें चाहने से मिल जाती है अपनी मंजिल,राहें आंसां हो जाती हैं आयें भी मुश्किल,
वक्त अचानक आकर मुट्ठी में जाता है थम ।
पर मनचाहा कब मिलता है दुनियां में सबका ,मिलना इक भ्रम भर होता है धरती से नभ का ,
परछाईं का पीछा करना व्यर्थ गंवाता श्रम ।
चाँद -सितारे छूने वाले इक दो ही होते हैं ,बाकी सबके सब तो केवल अवरोही होते हैं ,
जिनके हाथ जला चुकती है मामूली शबनम ।
जिस दिन मेरे गीत फिजायें खुद -बा -खुद गाएंगीं ,उस दिन घर के दरवाजे तक खुशियाँ चल आयेंगीं ,
खुशबू को स्वीकार हुई कब पायल की छम-छम .

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