शनिवार, 17 जुलाई 2010

दोहे -11

कल की नफरत भूल कर शुरू करें हम आज ।
प्यार मुहब्बत इश्क का एक नया अंदाज ।
आड़ा - तिरछा था सरल सीधा था मुश्किल ।
हर एक ने रास्ता चुना जिसके जो काबिल ।
हमारे पास कहने को बहुत मगर इस पल ।
तुम्हें सुनना हमारा दिन चाहता केवल ।
सबको निज आलोचना लगती बहुत बुरी ।
जैसे दिल को काटती कोई तेज छुरी ।
सबके घर में चल रहे घन घन घन घन फैन ।
जिसको देखो हो रहा गर्मी में बेचैन .

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