शुक्रवार, 23 जुलाई 2010

सजा के देख

पलकों पे आंसुओं को अपने सजा के देख ।
ये गम है चार दिन का तू मुस्कराके देख ।
हो किस लिए परेशां किसकी तुझे तलाश ,
वह तो करीब ही है नजरें उठा के देख ।
इक बेवफा की खातिर क्या अश्क बहाना हैं ,
दुनिया बड़ी हंसी है बस दिल लगा के देख ।
कतरा के गुजरते हैं जो देखकर तुझे यों ,
कल वो ही तलाशेंगे तू गुनगुना के देख ।
हो जाएगा तुझको यकीं खुद अपने आप पर ,
आँखों पे पड़े धोखे के परदे हटा के देख .

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