सोमवार, 26 जुलाई 2010

खफा किसलिए

मुझसे तुम हो खफा किसलिए ।
गैरों से है वफ़ा किसलिए ।
या तो मेरा जुर्म बता दो ,
वरना इतनी सजा किसलिए ।
मैंने सच्चा प्यार किया है ,
इसपर शक बेबजह किसलिए ।
प्यार कोई व्यापार नहीं है ,
जो नुक्सान नफ़ा किसलिए ।
पहले जख्म मुझे देते हो ,
फिर जख्मों पर दवा किसलिए .

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