शनिवार, 17 जुलाई 2010

दोहे -१३

तुमने मुझ पर है किया बहुत बड़ा अहसान ।
अपने दिल में दे दिया जो मुझको स्थान ।
पाकर तेरे प्यार को बदल गई तकदीर ।
खुद ब खुद ही खुल गई तकल्लुफ की जंजीर ।
तुझसे बातें क्या करीं दिल को मिला सुकून ।
सारा ठंडा पद गया दिल में उठा जूनून ।
हर दम प्रभू का ही रहे अपने दिल में ।
फिर देखो कैसे नहीं होता है कल्याण ।
सब कुछ उसके हाथ में जो चाहे वह दे ।
फिर काहे चिंता करे दुःख दे या सुख दे ।
यह दुनियां नाटक बड़ा हम इसके किरदार ।
निर्देशक रब है वही है सबका करतार .

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