सोमवार, 19 जुलाई 2010

सच कहने का अभ्यास करें

आओ हम तुम मिल जुलकर सच कहने का अभ्यास करें ।
न तुम झूठे न हम सच्चे इस सच पर विश्वास करें ।
शब्द -शब्द की अपनी इक तासीर हुआ करती है ,
जाने अनजाने जो सबकी रूह छुआ करती है ,
धूप -छाँव से इन शब्दों का पल पल हम अहसास करें ।
कल की बातों में से अच्छी बातें अपने पास रखें ,
मन में जो कडुवाहट घोलें उनसे हम संन्यास रखें ,
शब्दों को आकार मिले नव शब्दों का विन्यास करें ।
हर पल का मकसद केवल सच कायम करना भर है ,
वर्ना तो यह सारी दुनिया शब्दों का इक घर भर है ,
सब्दों के इस घर में कुछ पल खुशियों के संग वास करें ।
नए वर्ष में नयी सोच की ऐसी हम शुरुआत करें ,
शब्दों को बस प्यार मिले कुछ शब्दों की हम बात करें ,
नए शब्दों की संरचना में नित नए शब्द समास करें .

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