शनिवार, 24 जुलाई 2010

मुझे मंजूर नहीं

सिवा तुम्हारे किसी और का प्यार मुझे मंजूर नहीं ।

बीच हमारे कोई खड़ी दीवार मुझे मंजूर नहीं ।

चलो तुम्हारी पहली गलती समझ के मैंने माफ़ किया ,

लेकिन पहली -सी गलती हर बार मुझे मंजूर नहीं ।

तुम रूठोगे भी तो मुझसे तुम्हें मना भी लूँगा मैं ,

मगर गैर का बन जाना मुख्तार मुझे मंजूर नहीं ।

तुम कह दो तो प्यार की खातिर मैं कुछ भी कर सकता हूँ ,

वरना करना लोगों की बेगार मुझे मंजूर नहीं ।

जब तक तुमको देख नहीं लूं चैन मुझे न आता है ,

किसी और सुन्दर चेहरे का दीदार मुझे मंजूर नहीं .

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