सोमवार, 19 जुलाई 2010

श्रधांजलि -2

बिना आपके सारा घर लगता था खाली -खाली ।
होंठों पर मुस्कान हमें लगती थी जैसे गाली ,
दिल पर मानों रखा हुआ था पत्थर एक विशाल ।
भगवान् किसी को भी भूले से ऐसा गम न दे ,
घन दौलत दे या न दे पर आँखें नम न दे ,
करे किसी का भी न ऐसा दुःख से बदतर हाल ।
इक दिन तो सबको जाना है रुकना किसी भला है ,
लेकिन कोई समय से पहले जाता क्यों चला है ,
हर वक्त परेशान करता रहता हमको यही सवाल ।
शायद हमसे ही गलती हुई जो बाबा रूठ गए ,
पकडे पकडे हाथ अचानक हमसे छूट गए ,
अब न जाने कौन जनम में संग होंगे हम खुशहाल ।
आज आपको भारी मन से हम करते हैं याद ,
परम धाम दे प्रभू आपको करते हैं फ़रियाद ।
याद आपकी हम रखेंगे दिल में सदा संभाल ।
पुण्य तिथि पर अश्रुपूरित श्रधांजलि देते हैं ,
हमसे जाने लोग आपका नाम वचन देते हैं ,
हमें बिछुड़ने का जीवन भर होगा सदा मलाल .

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