शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

रात के अंधेरों में जन्मी कहानी

रात के अंधेरों में जन्मी कहानी ।
महलों का राजा और झुग्गी की रानी ।
जीवन की उजड़ी हुई खंडहर हवेली ,
भटकती है जिसमें इक चाहत अकेली ;
किस्मत के टूटे झरोखे और आले ,
चिंता की मकड़ी ने तान दिये जले ,
हड्डी के ढांचों में शेष है निशानी ।
चिथड़ों में लिपटाए गदराया यौवन ,
देखकर सिसकता है धुंधलाया दर्पण ,
सीने में दफनाये सपनों की लाश ,
होठों पर हँसता है कुचला परिहास ,
चांदी के सिक्कों में बिकती जवानी ।
मजबूरियों के दुशासन हैं घेरे ,
अबला की इज्जत के बनके लुटेरे ,
पांडवों ने सदियों से द्रोपदी है हारी ,
रावण के चंगुल में सीता बिचारी ,
बहाती है आँखों से विरहा का पानी .

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