रविवार, 18 जुलाई 2010

दो रंगी दुनिया

दो रंगी दुनिया में रोज यही होता है ।
कोई कहीं हँसता है कोई कहीं रोता है ।
किसी को फूल मिले शूल किसी दामन में ,
कहीं पे दीप जले दिल तो किसी आँगन में ,
कोई पतझड़ कहीं गुलजार कोई होता है । दो रंगी ...
कोई महफ़िल को तलाशे ,तो कोई तन्हाई ,
कोई चुपचाप चला साथ कहीं शहनाई ,
कोई आबाद तो बर्बाद कोई होता है .दो रंगी ...
कोई गिर कर उठे तो उठके कोई गिरता है ,
कोई मरकर कोई ज़िंदा लाश फिरता है ,
कोई शोले सा जला शबनम से कोई होता है .दो रंगी ...
कोई पीता है जहर कोई पिए पैमाने ,
अपने देते हैं दर्द प्यार मगर बेगाने ।
कोई शैतान तो भगवान् कोई होता है .ओ रंगी ..

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