कामयाबी दूर तक फैली जहां ।
हाथ अपना जो बढ़ाया गर कभी ,
उंगलिओं ने छू लिया आसमां ।
ख्वाहिशें दिल की सभी पूरी हुईं ,
मुश्किलों का मिट गया नामों निशाँ ।
मैं चली थी तो अकेली थी मगर ,
यकबयक बनता गया इक कारवाँ ।
पूछते हैं लोग मुझसे आजकल ,
जिन्दगी की खूबसूरत दास्ताँ .
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