भला मैं शिकायत करूँ क्या किसी से ।
मुझे गम मिले हैं मिरी ही ख़ुशी से ।
तरस तुम न खाओ यूँ हालत पे मेरी ,
अभी रिश्ता तोड़ा नहीं है ख़ुशी से ।
सुनो मेरी खातिर दुआ अब न करना ,
मुझे जीना आता नहीं बुजदिली से ।
तुम्हें देखकर भी न देखूं अगर मैं ,
समझना मैं मिलता नहीं अजनबी से ।
परेशां न हो जुगनुओं तुम जरा भी ,
अँधेरे मिले हैं मुझे रौशनी से .
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