रविवार, 18 जुलाई 2010

हम क्या कोई पत्थर हैं

हम क्या कोई पत्थर हैं देखें और कुछ न कहें ।
आओ हम बात करें बैठे यों चुप न रहें ।
मंदिर की , मस्जिद की , गिरजा ,गुरुद्वारों की ,
जन्म की मृत्यु की जीतों की हारों की ,
बहते लहू की सरयू किनारे की ,
लहलहाती फसलों की बंजर फुल्वारे की ,
देश की अखंडता की धर्म के पाखंड़ताकी ,
वोटों की नोटों की ,बड़े और छोटों की ,
अपने परायों की ,एकता के उपायों की ,
प्रेम भाई चारों की वादों की नारों की । आओ हम बात करें ...
हत्या ,डकेती की ,बलात्कार ,फिरोती की ,
बारूदी ढेरों की ,गीदड़ और शेरोन की ,
शहरों की जंगल की ,मंगल और अमंगल की ,
नारी के शोषण की ,दलितों के पोषण की ,
दुश्मन की ,यारों की ,देश के गद्दारों की ,
जनसंख्या वृद्धि की कल के सुख सम्रद्धि की .आओ हम बात करे ...
स्वतंत्रता और शहीदों की भटकते हुए बदनसीबों की ।
देश और विदेशों की ,बढ़ते उपनिवेशों की ,
शक्ति प्रदर्शन की ,रेडिओ दूरदर्शन की ,
प्रजातंत्र बहाली की ,शेयर और दलाली की ,
शिक्षा और गरीबी की ,दूरी और करीबी की ,
धरती और अम्बर की ,लाटरी के नंबर की ,
आरक्षण और मंडल की ,राजनीतिक कमंडल की ,
राज्यों के निर्माण की ,आदमी के निर्वाण की । आओ हम बात करें ...
हिंदी के वकास की ,सरकारी प्रयास की ,
कर्मचारी -हड़ताल की ,जांच और पड़ताल की ,
पूँजी और निवेश की ,विदेशी प्रवेश की ,
प्रेस पर प्रहार की ,निर्दोषों के संहार की ,आयोग के नतीजों की ,चाचा और भतीजों की ,
हवाला और घुटाला की ,चारा और निवाला की ,
न्यायालय के अपमान की ,संसद के सम्मान की । आओ हम बात करें ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें