मंगलवार, 27 जुलाई 2010

पागलपन दीवाने का

तुम क्या जानो क्या होता है पागलपन दीवाने का ।
प्यार भरी नजरों से जीना नफरत से मर जाने का ।
इन्तजार में पलक बिछाए रहता है उस रस्ते पर ,
जिस राह गया था जाने वाला वादा करके आने का ।
हरदम खोये -खोये रहना अपने किन्हीं ख्यालों में ,
दीवारों से बातें करना रोने औ मुस्काने का ।
जिसको दिल दे दिया उसी को खुशियाँ भी दीं सारी ।
इनको बहुत मजा आता है खुद के ही लुटजाने का ।
रुसवाई का जहर पी लिया दर्दे दिल को लिए फिरे ,
अपना प्यार छुपाकर दिल में अफसाना बन जाने का .

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