skip to main
|
skip to sidebar
अनकही
विचार जो अव्यक्त रह गए
शनिवार, 17 जुलाई 2010
कुछ ये भी -2
यहाँ प्रेम के गीत हैं प्रेम भरा संगीत ।
प्रेम गीत गर गाओगे मिल जाएगा मीत ।
मिल जाएगा मीत कई जन्मों जन्मों का ,
खुशबू से लबरेज हवा का जैसे झोका .
1 टिप्पणी:
Jandunia
17 जुलाई 2010 को 10:25 am बजे
शानदार पोस्ट
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2012
(11)
►
जुलाई
(2)
►
मई
(9)
►
2011
(4)
►
अक्टूबर
(4)
▼
2010
(416)
►
सितंबर
(58)
►
अगस्त
(34)
▼
जुलाई
(264)
शायद वो नाराज है
फडफडाकर रखे हैं
हो गया दूर है
अच्छी बात नहीं
हर दिन की खुशहाली
संचित नहीं करते
घर आने की
गलतियों से
मनमानी है
देने वाला तो बस रब है .
पागलपन दीवाने का
कमजोरी होती है
फीलिंग होती है
सजा मुझको मिली है
नहीं ज़रा भी प्यार
दिल तक जाती है
कुछ गम ना होते
अपने दिल की बात
खुदगर्ज हो गया
सारी वर्जनाएं
निकलते घर से
पास तुम्हारे आने का
मिल नहीं पायेंगे
नहीं उठाते वो
अगर कुछ ख़त होते
वक्त लेकर आ गया मुझको कहाँ
तेरे हर ख़त का
एक इबादत होती है
अच्छी बात नहीं
शिकायत करूँ क्या किसी से
मुहब्बत करने वाले
नाम हमारे साथ जुड़ा है
बहुत बुरा लगता है मुझको तेरा जाना
बोलो सीधा क्या
खफा किसलिए
तुम्हारी जितनी भी तस्वीरें हैं
इतना भी क्या डरना डर से
मुझे मंजूर नहीं
सच कहते पर हम हें
मुहब्बत मुझे इस कदर है
चलन आजकल
आंसू बहायें
सजा के देख
लेकिन कटती रात नहीं
भुलाना चाहता हूँ
छोटे छोटे घर
जिन्दगी के लिए
जब निगाहें निगाहों से टकरा गईं .
अपने पास रखो
बदली भागी जाए
जिस दिन उसने दस्तक दी थी
जब से मय को पीना सीखा
दिवाली दियों को जलाने का मौसम
प्यार में पागल न होगा
मेरी ख्वाहिशें
रखना इसे संभाल
दिल को ख़ुशी मिली
जगा दे मुझे
अपनी शैली है
ऐसा न था ये शहर
तेरी तस्वीर
अधूरी कविता -6
अधूरी कविता -5
अधूरी कविता -4
अधूरी कविता -३
अधूरी कविता -2
अधूरी कविता 1
श्रधांजलि -2
श्रद्धांजलि -1
दुनिया बुरी हो गई
जन्म दिन मुबारक हो तुमको शुभम
कप्तान की बातें
सच कहने का अभ्यास करें
हम क्या कोई पत्थर हैं
जाके पिया मोह भूल न जाना
दो रंगी दुनिया
होंठ थे उसके सिले
कुछ ये भी -2
कुछ ये भी
दोहे -14
दोहे -१३
दोहे -12
दोहे -11
दोहा -१०
दोहे -9
दोहे -8
दोहे -7
दोहे -६
दोहे -5
दोहे -4
दोहे -३
दोहे -2
दोहे -१
मन कब तलक बहलायेगा
मैं आवारा बदली थी
रात के अंधेरों में जन्मी कहानी
मन ही मन -17
मन ही मन -16
मन ही मन -15
मन ही मन 14
►
जून
(43)
►
मई
(2)
►
अप्रैल
(14)
►
मार्च
(1)
मेरे बारे में
unkahi
दीप हूँ जीवन मेरा पर्याय है जलना , धूम्र की पगडंडियों पर व्योम तक चलना
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
शानदार पोस्ट
जवाब देंहटाएं