शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

मुझे देखा न था .

देख कर मेरी तरफ उसने मुझे देखा न था ।
वह न जाने किसलिए मुझसे बहुत नाराज था ।
जो हमेशा मुस्कराकर ही मिला आकर मुझे ,
पर मिलेगा इस तरह से ये कभी सोचा न था ।
किस कदर है कर दिया मुझको यकायक अजनबी ,
जिन्दगी में एक पल इतना बुरा गुजरा न था ।
प्यार में बेशक नहीं दिल में जगह शक को जरा ,
क्या वजह थी जो उसे मुझ पर यकीं होता न था ।
दर्द सीने में छुपाकर मैं रखूँगा किस तरह ,
आज से पहले हुआ इतना बड़ा धोखा न था ।
रह सकेगा चैन से वह भी नहीं मेरे बिना ,
जानता हूँ दिल मेरा उसने कभी तोडा न था .



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