गुरुवार, 8 जुलाई 2010

तुमको प्यार जताने में

आखिर कितना वक्त लगेगा तुमको प्यार जताने में ।
पलक उठाके पलक झुका कर हौले से मुस्काने में ।
मैंने अक्सर ही देखा है पीछा करती नजरों को ,
फिर इतना क्यों घबराते हो मिरे सामने आने में ।
रोज रोज मिलते हो लेकिन करते खुछ भी बात नहीं ,
बोलो तुमको क्या मिलता है यूँ मुझको तड़पाने में ।
क्यों करतीं हैं पीछा मेरा तेरी नजरें चुपके से ,
बोलो क्या मतलब समझूँ चूड़ी के खनकने में ।
ऐसा भी तो नहीं कि तुम लगती हो नादान बहुत ,
जो भी होता है करती हो शायद तुम अनजाने में ।
क्या कहती है दिल कि धडकन और लरजना होठों का ,
तुम्हें आयना समझा देगा खुद से नजर चुराने में ।
कभी भरोसा तुम मत करना इस दुनियां के लोगों पर ,
इन्हें मजा आता है औरों के घर आग लगाने में ।
दिल में ऐसी प्यास लगी है जिसे बुझा सकते हो तुम ,
वर्ना तो भटका हूँ कितना दुनियां के मयखाने में .

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