जो शख्स लेता है नसीहत गलतियों से ।
लिखता वही तकदीर अपनी उँगलियों से ।
तय कर लिया काँटों भरा जिसने सफ़र ,
थकते नहीं उसके कदम फिर दूरियों से ।
परवाज पाई तितलियों से जिस किसी ने ,
डरता नहीं है वह ग़मों की आँधियों से ।
कैसे डूबा सकता उदासी का समुन्दर ,
पाया हुनर -ए- तैरना जो मछलियों से ।
जो जान लेता है मिजाजे वक्त को गर ,
वह खौफ खाता नहीं तारीकियों से ।
आता जिसे है मुफलिसी में मुस्कराना ,
वह हारता है कब भला मजबूरियों से ।
जितनी मुसीबत सामने आतीं किसी के ,
वह और भी लबरेज होता खूबियों से .
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