शनिवार, 3 जुलाई 2010

न इंकार करूँगा

तू मुझको खुशियाँ दे या गम न इंकार करूँगा ।
मैंने तुझको प्यार किया है मैं तो प्यार करूँगा ।
तेरे मेरे बीच बनाये लाख जमाना ऊँची ,
नफरत की हर खड़ी धराशायी दीवार करूँगा ।
अश्कों का दरिया कितना भी गहरा दर गहरा हो ,
मैं लेकर उम्मीद की कश्ती इसको पार करूँगा ।
तुझे रूठना गर आता है जरा रूठ कर देखो,
तुझे मनाने की हर कोशिश बारम्बार करूँगा ।
लाख छुपा ले तू परदे में अपना सुन्दर चेहरा ,
तेरी सूरत मेरे दिल में है दीदार करूँगा ।
तेरे दामन में भर दूंगा दुनिया भर की खुशियाँ ,
हर पल तेरे जीवन का जैसे त्यौहार करूँगा .

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