गुरुवार, 15 जुलाई 2010

कवि

आकांक्षाओं का एक पाषाण /
होना था जिससे नव निर्माण /
आंसुओं से इसे धोकर /
समाज की छैनी की ठोकर /
से तराशा गया विधि के हाथ /
अनेक कलात्मक उभारों के साथ /
इस प्रकार जो प्रतिमा बनाई गई /
विभिन्न दर्द युक्त रंगों से सजाई गई /
रख दी गई दुर्भाग्य के बाजार में /
किसी अच्छे ग्राहक के इन्तजार में .

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