बुधवार, 7 जुलाई 2010

सौ फीसदी फूल

हाँ ,हाँ मैं फूल हूँ /सौ फीसदी फूल /
यह बात और है /कि मुझे माला में पिरोया न गया /
न मैं किसी देवता के चरणों में चढ़ाया गया /
न मुझे किसी अर्थी पर सजाया गया /
न मुझे किसी नेता के गले का हार बनाया गया /
न मेरा कभी हार से नाता रहा /
न किसी जीत से /यह भी सच है कि /मेरी सुगंध दूर -दूर तक न फ़ैल सकी /
न कोई मुझसे आकर्षित हुआ /
यह भी सच है कि न मुझे /किसी माली ने पैदा करने कि तकनीक से पैदा किया /
यानी यह बात दीगर है /कि मेरा ताल्लुक न मौत से है /न जिन्दगी से /
न इबादत से न बंदगी से /
ना जीत से न हार से /
न ही नफरत से न प्यार से /
यह भी सच है कि मुझमें / न रंग है न बू है /
न मुझे किसी ने चाहा /न कोई आरजू है /
यह भी सच है कि मेरे खिलने पर /न किसी ने ध्यान दिया /
फिर भी मैं फूल हूँ /सौ फीसदी फूल /यह भी सच है /
मेरे खिलने का कोई महत्त्व नहीं है /
क्यों कि मैं उन फूलों की श्रेणी में नहीं आता /
जिनकी तरफ लोग आकर्षित होते हैं /
पर कल ही की बात है /
स्कूल जाता हुआ नन्हा सा बच्चा /मुझे काफी देर तक निहारता रहा /
उसने मुझे धीरे से अपनी नाजुक उँगलियों से सहलाने की कोशिश की थी /
न जाने क्या सोच कर उसने मुझे तोडा नहीं /
धीरे से मुस्काया था /
जब कि मैं उसकी पहुँच कि जद में था /
इसीलिए मैं कहता हूँ /मैं फूल हूँ /सौ फीसदी फूल /

jinki taraf log आकर्षित

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