बुधवार, 7 जुलाई 2010

म्याद होती है

हर सजा की इक मुक़र्रर म्याद होती है ।
चुप जुबां से भी बयां फरियाद होती है ।
कैद में दिन रात आंसू जो बहता है ,
जिन्दगी उसकी हुई बर्बाद होती है ।
जो ग़मों का इक समुन्दर पी गया यारो ,
दर्द की उसके बड़ी तादाद होती है ।
एक बूढ़े बाप का गम कौन समझेगा ,
छोड़ कर जिसको गई औलाद होती है ।
सैकड़ों चीखों का इक इतिहास होता है ,
जब नै दुनियां कोई आबाद होती है ।
ख़त्म तो होगा सफ़र जाकर वहीँ अब तो ,
जिन्दगी जिस मोड़ पर आजाद होती है

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