सोमवार, 5 जुलाई 2010

तुझसे प्यार निभाने की

मुझको कैसी सजा मिली है तुझसे प्यार निभाने की।
टूटा हुआ लिए दिल अपना जीते जी मर जाने की ।
तेरी सूरत देख के अपना रोज सवेरा होता था ,
अब तो सारी बातें हो गईं गुजरे हुए जमाने की ।
साथ बैठ कर हमने जितने खाब सुनहरे देखे थे ,
आज सभी तब्दील हो गए शक्लों में वीराने की ।
तेरी एक हंसी से दिल में फूल हजारों खिलते थे ,
वही फूल कोशिश करते हें यकबयक मुरझाने की ।
उस शख्स के जैसा रोता हूँ मैं खोकर अपना वक्त भला ,
कहीं खो गई चाबी जिसके इक नायाब खजाने की ।
गैरों के पहलू में जाकर तुम जब भी इतराते हो ,
जी में आती बातें इस दुनियां में आग लगाने की ।
तुने अपनी जिद में आकर जिसदम नाता तोडा था ,
मैंने कितनी कोशिश की थी तुझको यार मनाने की ।
जब भी तेरी याद सताती आँखें भर भर आतीं हैं ,
वैसे मैंने आदत करली अश्कों को पी जाने की .

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