गुरुवार, 8 जुलाई 2010

दाग सा क्यों है

दो दिलों का प्यार करना पाप सा क्यों है ।
इस ज़माने में मिलन इक खाब सा क्यों है ।
जो सरासर क़त्ल है सबकी निगाहों में ,
आजकल वो लग रहा इक हादसा क्यों है ।
जब कभी मैं देखता हूँ रूबरू खुद को ,
आयना चेहरा दिखातागैर सा क्यों है ।
है उजागर दुश्मनों ने साजिशें की हैं ,
दोस्तों का लग रहा पर हाथ सा क्यों है ।
जानते हैं लोग सब जिसकी हकीकत को ,
उस कहानी में बयां इक झूठ सा क्यों है ।
है बहुत ही खूबसूरत चाँद दुनियां में ,
पर लगा मुखड़े पर उसके दाग सा क्यों है .

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