गुरुवार, 8 जुलाई 2010

प्यार कर सकता नहीं

चाह कर भी मैं तुझे अब प्यार कर सकता नहीं ।
पीठ पीछे से किसी के वार कर सकता नहीं ।
है किसी को गर यकीं मुझ पर भला क्यों तोड़ दूँ ,
दरम्यांअपने खड़ी दीवार कर सकता नहीं ।
ये मुहब्बत ,आशिकी चीजें नहीं जो बेच दूँ ,
मैं उसूलों का कभी व्यापार कर सकता नहीं ।
ये हकीकत है किसी का इश्क तो छुपता नहीं ,
पर उसे रुसवा सरे बाजार कर सकता नहीं ।
प्यार के बदले में रब जानत भी मुझको बख्श दे ,
इस जनम में तो कभी इकरार कर सकता नहीं ।
तुम भले ही रूठ कर तोड़ लो नाता मगर ,
मैं किसी की जिन्दगी दुश्वार कर सकता नहीं .

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