गुजरा हुआ जमाना दिल से भुलाये रखिये ।
आँखों के आंसुओं को यूँ ना बहाए रखिये ।
आएगा एक दिन फिर मौसम वो कहकहों का ,
होंठों को तबस्सुम कि आदत बनाये रखिये ।
माना कि अभी सारी दुनियां है तेरी दुश्मन ,
पैरों में सम्हलने की ताकत बनाये रखिये ।
औरों कि नहीं सर्दी अपनी तो दूर होगी ,
सीने में आग अपने कुछ तो जलाये रखिये ।
ना जाने किस तरफ से आ जाये कोई मसीहा ,
हर रह गुजर में अपनी पलकें बिछाए रखिये ।
शायद कभी वो सुनले भूले से तेरे नाले ,
अपनी मुहब्बतों कि महफ़िल सजाये रखिये .
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