शनिवार, 10 जुलाई 2010

मुझसे बहुत नाराज है

वो आजकल ना जाने क्यों मुझसे बहुत नाराज है ।
जिसकी मुहब्बत पर रहा मुझको हमेशा नाज है ।
मुंह फेर लेती है मुझे वो देख कर के सामने ,
करती रही है जो बहाने से नजर अंदाज है ।
खामोश लब रहते नहीं कुछ बोलती मुझसे कभी ,
सूरत बनती यूँ लगे तबियत बड़ी नाशाज है ।
जो कल तलक तो खिलखिलाती घूमती थी हर जगह ,
शायद कहीं गुम हो गई उसकी हंसी आवाज है ।
मैंदेख सकता हूँ नहीं उसको दुखी दिल से कभी ,
लेकिन मनाने के लिए मिलता नहीं अल्फाज है ।
कटता नहीं था एक पल भी जो कभी उसके बिना ,
दिल पर गुजरती क्या मिरे उसको नहीं अंदाज है ।
इस कदर वो बेरुखी से मुझसे आती पेश है ,
मैं सोचता हूँ क्या इसी के प्यार पर था नाज है

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