बुधवार, 7 जुलाई 2010

हिसाब होता है

जर्रा जब भी आफ़ताब होता है ।
जुगनुओं का हिसाब होता है ।
जिसके लफ्जों में ताब होती है ,
उसका चेहरा किताब होता है ।
जिसको हरओर हरा दिखता है ,
उसका चश्मा ख़राब होता है ।
जिसकी नीयत ख़राब होती है ,
उसका खाना ख़राब होता है ।
जिसके हाथों में ईंट होती है ,
उसका पत्थर जबाब होता है ।
जिसकी आँखों में हया होती है ,
उसका हुश्न लाजबाब होता है ।
जो सच को सच नहीं कहता ,
उसपर बड़ा ही दबाब होता है ।
जिसकी बातें अजीब होती हैं ,
उसका भेजा ख़राब होता है ।
तारे जब भी उदास होते हैं ,
चांदनी पे शबाब होता है ।
इक तो तबियत ख़राब होती है ,
दूसरा मौसम ख़राब होता है .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें