मंगलवार, 6 जुलाई 2010

हे राष्ट्रपिता

हे राष्ट्रपिता /तुम्हें पता भी है ?
तुम्हारे अनमोल बचनों का /
लोगों पर क्या असर हुआ ?
तुमने कहा बुरा मत देखो/तुमने कहा बुरा मत सुनो/
तुमने कहा बुरा मत कहो /
उदहारण के लिए बन्दर रख दिए /
और बन्दर का नया संस्करण /
आदमी ही तो है /
उन्होंने तुम्हारे बचनों का /कड़ाई से पालन किया /
अपनी आँखें /अपने कान /अपना मुंह /
कसकर बंद कर लिए/
पचास वर्षों तक लगातार /
जमकर बंद किये रहे ।/
और अब तो यह हाल है /
आँखों ने /कानों ने /मुंह ने /
हमेशा के लिए अपना काम करना /
बंद कर दिया है ।
लोगों को न तो कुछ दिखाई देता है /
ना कुछ सुनाई देता है /और तो और /
वो कुछ बोल भी नहीं पाते है /
हे राष्ट्रपिता तुम्हें कुछ पता भी है ?

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