अकबका जाना उसके आने से /
छटपटा जाना /
जाने से उसके /
खुला दरवाजा इसी लिए तो है ।
अजनबी की तरह /
एक दुसरे को देखना /
कितनी पीड़ा होती है /
कुछ न कह पाने में ।
किसी और के साथ उसे देखना /
खुद को अनदेखा करना आईने में ।
उसके साथ पूरी रात काट कर भी /
रात काटी सी नहीं लगती ।
तुम इतनी सर्द भी तो नहीं /
कि पास आऊँ /
तुम इतनी गर्मभी तो नहीं /
कि दूर जाऊं /बरसात भी तो नहीं कि भीग जाऊं ।
खुद ही बनाया वीराना /
कहाँ दूर होता है अपने ही हाथों /
जलती चिता से कब जीवन /
आया है वापिस ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें