गुरुवार, 15 जुलाई 2010

मन ही मन -8

सब कुछ भूलने पर ही तो /
तुम्हें याद करता /
सब कुछ तभी भूल पाता /
जब तुम्हें याद करता ।

तुम पुकारते ही नहीं हो /
वर्ना मैं आ न जाता /
न जाने के लिए /
बदनसीबी -सा ।

सपना हकीकत लगता है /
और हकीकत सपना /
आखिर दोनों के बीच /
आदमी महसूस क्या करता है ।

तुम वह बिलकुल नहीं कहतीं /
जो मैं सुनता हूँ /
मैं वो नहीं सुनता हूँ /
जो तुम कहती हो ।

जमीन पर खड़े होकर /
उड़ना चाहता था /
और उड़ते हुए जमीन /
तलाश रहा है वो ।

बच्चे बहुत रोते हैं /
और रोने के लिए /
बच्चा होना जरूरी है /
बड़े कहाँ रो पाते हैं बच्चे की तरह .

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