फूल खिलते हैं मुरझाते हैं /
बिलकुल एक जिन्दगी की तरह /
आदमी की ।
मानना चाहो तो मानेगा कैसे /
बच्चों की तरह जिद किये है /
भला बच्चे आसानी से /
कब मानते हैं ।
कल तुम मेरा सपना थीं /
आज सपने में तुम हो ।
भूल सकता हूँ तुम्हें /
यदि याद न आने का वादा करो /
तुम वादा कभी नहीं करतीं /
जानता हूँ ।
मैं हमेशा एक गीत सुनता हूँ /
पता नहीं किसी और को /
क्यों नहीं सुनाई देता मेरी तरह ।
तुम सावन भादों के आंसू बहती रहीं /
और मैं आसिक गरीब की झुग्गी की तरह बह गया /
जब तुम विदा हुईं थीं .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें