बेवफा का नाम जुबां पर न लाइए ।
हो सके तो जाम वफ़ा का पिलाइए ।
दोस्तों की शक्ल तो पहचान चूका हूँ ,
दुश्मनों के नाम तो न अब गिनाइये ।
गम मिरा मेरे अँधेरे मेरी मुफलिसी ,
हैं मुझे अजीज बहुत छोड़ जाइए ।
बन गईं हैं जिन्दगी तन्हाइयां मेरी ,
उम्र सजा की मिरी बेशक बढ़ाइए ।
बार बार हादसों को याद क्या करूँ ,
अब खुदा के वास्ते न जिक्र लाइए ।
रास्तों ने इस कदर धोखे दिये मुझे ,
हटने दो मुझे राह से न डगमगाइये ।
लोग हैं वाकिफ सभी उसके गुनाह से ,
इस हकीकत पे न पर्दा गिराइए ।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें