जब कभी उसने मुझे आवाज दी है ।
फुसफुसाकर सरसरी सी बात की है ।
दिल उछल कर आ गया पहलू से बाहर ,
धडकनों को प्यार की सौगात दी है ।
पास आकर फिर जरा सा दूर जाकर ,
अपने आँचल को उड़ाकर लाज की है ।
या किया कोई इशारा मुस्करा कर ,
पैर से अपने थपक पदचाप की है ।
बज उठी पाजेब जब भी छन छनन छन,
चूड़ियों की खनखनाहट साज सी है ।
सिसकियों सी सांस लेना खींच कर ,
जाग कर करवट बदलते रात की है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें