बुधवार, 14 जुलाई 2010

आपका जब से मेरे दिल में ठिकाना हो गया .

आपका जब से मेरे दिल में ठिकाना हो गया

देखते ही देखते दुश्मन जमाना हो गया ।

अब हवाएं भी शहर की करतीं हैं सरगोशियाँ ,

हर जुबां पर मेरा ही काबिज फ़साना हो गया ।

हर गजल ,हर शेर में बस आपका ही जिक्र है ,

लफ्ज का जबसे मिजाज आशिकाना हो गया ।

हर तरफ महसूस होती आपकी मौजूदगी,

आजकल मैं किस कदर खुद से यगाना हो गया ।

अब नहीं आता मेरे ख्यालों में कोई दूसरा ,

आपकी सूरत का जबसे दिल दीवाना हो गया ।

पूछिए न अब मेरे दीवानगी की इन्तहां ,

आयना भी गुफ्तगू का इक बहाना हो गया ।

फासले कम होगये दूरियां भी कम हुईं ,

हर ख़ुशी का एक दम रुख दोस्ताना हो गया .

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