रविवार, 11 जुलाई 2010

हम चले जायेंगे

जिन्दगी से तेरी हम चले जायेंगे ।
लौट कर फिर कभी भी नहीं आयेंगे ।
हर ख़ुशी दो जहाँ की मुबारक तुम्हें ,
मेरे गम मीरा दिल अब बहलाएँगे ।
गुल गुलिस्ताँ में तेरे यों खिलते रहें ,
खार दामन में मेरे अब मुस्कायेंगे ।
होंठ गाते रहें गीत हरदम तेरे,
अश्क मेरे गजल खुद ही बन जाएँगे ।
रौशनी में रहे भीगता जिस्म तेरा,
हम अंधेरों से अपने को नहलायेंगे ।
आसमान के गिनोगी जब तारे कभी ,
चाँद में जख्म मेरे नजर आयेंगे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें