मंगलवार, 6 जुलाई 2010

कितना शोर मचाते हो

जोर जोर से डेक बजाकर कितना शोर मचाते हो ।

गानों के अल्फाजों में तुम अपनी बात सुनाते हो ।

तुम क्या जानो मेरे दिल का हाल बुरा हो जाता है ,

इक बेचैनी सी छा जाती चैन कहीं खो जाता है ।

तुम तो अपनी धुन में पागल दीवाने बन जाते हो ,

दर्द भरी आवाज तुम्हारी बनके सदा उभरती है,
बेकाबू दिल हो जाता है कितनी कठिन गुजरती है ।
तुम को क्या मिल जाता है जो मुझको यूँ तडपाते हो ,
अपने प्यार को रुसवा करना ये तो अच्छी बात नहीं ,
जिसकी कोई सुबह नहीं हो ऐसी कोई रात नहीं ,
इतनी सी ये बात नहीं क्यों खुद को तुम समझाते हो .

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