रविवार, 4 जुलाई 2010

क्या मिला

उम्र भर आंसू बहाए क्या मिला ।
खार दामन में सजाये क्या मिला ।
वह पलट कर फिर कभी आया नहीं ,
राह में पलकें बिछाए क्या मिला ।
चाहते तो रोक सकते थे उसे ,
बंदिशें ना तोड़ पाए क्या मिला ।
जो भुला बैठा उसी के प्यार में ,
रात दिन छटपटाये क्या मिला .
प्यार में सबकुछ लुटाकर एक दिन ,
चैन से फिर रह न पाए क्या मिला ।
जिस जगह से हाथ खाली थे चले ,
सर उसी दर पर झुकाए क्या मिला ।
बेवफा की बेवफाई का बड़ा ,
बोझ कांधों पर उठाये क्या मिला .

3 टिप्‍पणियां:

  1. बेवफा की बेवफाई का बड़ा ,
    बोझ कांधों पर उठाये क्या मिला
    बहुत अच्छा शेर क्या बात है !

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  2. अल्फाजों के साथ इंसाफ किया है, शुभकामनायें

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