सोमवार, 12 जुलाई 2010

मुझे गम पराये मिले हैं .

उमर भर मुझे गम पराये मिले हैं ।
सभी आंसुओं में नहाए मिले हैं ।
सुलगने को हरदम यूँ ही जिन्दगी भर ,
सीने में शोले छुपाये मिले हैं ।
भटकने को तनहा मुझे तीरगी में ,
बस्ती -ए- वीरां बसाए मिले हैं ।
नशेमन पे मेरे गिराने को बिजली ,
हाथों में मेंहदी रचाए मिले हैं ।
कहीं देख न लूँ मैं बेबस निगाहें ,
चेहरे पर पर्दा गिराए मिले हैं ।
मेरी आरजू की दफ़न लाश करने ,
मैयत का सामान सजाये मिले हैं .

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