उमर भर मुझे गम पराये मिले हैं ।
सभी आंसुओं में नहाए मिले हैं ।
सुलगने को हरदम यूँ ही जिन्दगी भर ,
सीने में शोले छुपाये मिले हैं ।
भटकने को तनहा मुझे तीरगी में ,
बस्ती -ए- वीरां बसाए मिले हैं ।
नशेमन पे मेरे गिराने को बिजली ,
हाथों में मेंहदी रचाए मिले हैं ।
कहीं देख न लूँ मैं बेबस निगाहें ,
चेहरे पर पर्दा गिराए मिले हैं ।
मेरी आरजू की दफ़न लाश करने ,
मैयत का सामान सजाये मिले हैं .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें